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Spiritual Poem

ho ke mayus shirdi se koi sawali nagaya
sai ke dar se koi banda khali na gaya
apne bhakton ki khabar lete hain mere satguru sai ram
kyonki sai hain is duniya ki sabse badi sarkar

aana hai to aa ja aab shirdi dhaam me
sai sansaar ki badi sarkaar hain!!!

milte yahan har bande ko nyaya
kyonki sai ka sacha darbar hai!!!!

sai ke ghar me der bhale ho jaye
sai ke ghar me andher nahi hote hain
apne bhakton ke gam ko wo har lete hain
bhakton ki halaton par sai ki naza hai


happy sai baba day to all of u may baba call u to shirdi soon and me too as i have never been there!!!

Spiritual Poem

मैं तुम्हे हर पल याद करती हूँ
हर सांस के साथ क्या?
इक इक सांस मैं
कई कई बार याद करती हूँ
चलते वक़्त पायल के
घुन्गरुओं की झंकार
मैं आहट तुम्हारी सुनाई देती हैं
फूलों की पत्तियों मैं
सूरत तुम्हारी लगती हैं
बारिश की बूंदों मैं
अक्स जैसे तुम्हारा छलकता हैं
बादलों मैं छिपा जैसे
मेरा घनशयाम लगता हैं
अग्नि की लपटों मैं
जैसे मेरा मोहन सजता हैं
मंद मंद वायु मैं
जैसे तेरी मुस्कराहट सी आती हैं
वो वंशी की मधुर मधुर धुन
कानो मैं आती हैं
पृथ्वी के हर जर्रे मैं
छिपे जैसे बनवारी हैं
मेरी हर धड़कन
कई कई बार
नाम कान्हा तेरा पुकारती हैं
अब तो आ जाओ आ जाओ ना

Spiritual Poem

खुशियों के श्रोत का उदगम बता दो,
जीवन में आनंद का संगम करा दो.
देह के आत्मा को तृप्त कर दे जो,
उस मूल्यवान वस्तु से मिलन करा दो.

तलाश में जिसके संतो के भक्ति लीन,
दार्शनिको के विचार जिस आस्था में विलीन.
कृष्ण राधा के प्रेम संबंधो का यकीन,
उनके बीच का वो अमर बंधन हसीन.

अरस्तु के चमत्कारिक ज्ञान का भंडार,
आइन्स्टीन के काया पलट खोजो का अम्बार.
मायकल एंजलो की प्रतिभाशाली कला,
महात्मा बुद्ध को जिस शक्ति से ज्ञान मिला.

क्रिस्त्लर की मधुर वो वायलिन की तान,
कबीर के गूढ़ रहस्यवादी दोहो की शान.
सेक्सपीअर की जग प्रसिद्ध कविताये,
वो प्रेरणा जिससे लिखी महान रचनाये.

खुशियों के श्रोत का उदगम बता दो,
जीवन में आनंद का संगम करा दो.
देह के आत्मा को तृप्त कर दे जो,
उस मूल्यवान वस्तु से मिलन करा दो !

Spiritual Poem

Shri Gopal Sahstranam Strotra

-: श्री गोपाल शहस्त्रनाम स्त्रोत :-
कैलाश शिखरे रम्ये गौरी प्रछाती शंकरं
ब्राम्हांदा खिल्नाथास्त्वाम श्रीस्ती संहार कारकं
अस्चर्या मिद्मात्यानतम जायते मम शंकरं
तट प्राणेश महा प्राघ्य शंश्य्म छिन्धि शंकरं
श्री महादेव उवाच
धन्यासी क्रित्पुन्यासी पारवती प्राण वल्लभे
रहस्याती रहस्यम च यात्प्र्छासी वरानने
स्त्रिस्वभावन महादेवी पुनस्त्वं पारी प्रिछासी
गोप्नियम गोप्नियम गोप्नियम प्रयत्नः तह
दते च सिध्हिआनी सया तस्मा द्याग्नें गप्येतः
इदं रहस्यम परमं पुर्सार्थ प्रदायकं धन रत्नों धमानिक्यम तुरंगम गजादिकम
ददाति स्मर्ना देव महा मोक्ष प्रदायकं ततेहम सप्रवाक्श्यामी स्रानुस्वाव्हिता प्रिये यो सो निरंजनो निराकारो भक्तानाम प्रितिकायादः