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Deepawali Poem

हमारे समग्र प्रयासों से जब

लोगो की राहें होंगी रौशन

हर चेहरे ऐसे चमके व दमकेंगे

जैसे घर घर

टिम-टिमाते दीपक

फैल जायेगी चारों ओर

खुशियों की ऐसी चादर

लगे जैसे झिलमिलाते

बल्बों की झालर

देखना फिर हर पल

लगने लगेगा त्यौहार

नहीं रहेगा वर्ष के

उस दिन का इंतजार

हर पल हम कह सकेंगे

....शुभ दीपावली


दीप मल्लिका आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शान्ती व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शूभकामनाऐं॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰

Deepawali Poem

"aaj se aap ke yaha...dhan... ki barsat ho,
maa laxmi ka... vas... ho, sankatto ka.... nash... ho
har dil par aapka... raj... ho, unnati ka sar par... taj... ho
ghar me shanti ka.... vas... ho
* HAPPY DIWALI *

Deepawali Poem

Diwali, Gul ne gulshan se gulfam bheja hai,
sitaro ne gagan se salam bheja hai,
Mubarak ho apko ye "DIWALI"
Humne tahe dil se yeh paigam bheja hai.

Deepawali Poem

दीपक एक जलाना साथी

गुमसुम बैठ न जाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी!!

सघन कालिमा जाल बिछाए
द्वार-देहरी नज़र न आए
घर की राह दिखाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी

घर औ' बाहर लीप-पोतकर
कोने-आंतर झाड़-झूड़कर
मन का मैल छुड़ाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी!!

एक हमारा, एक तुम्हारा
दीप जले, चमके चौबारा
मिल-जुल पर्व मनाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी!!

आ सकता है कोई झोंका
क्योंकि हवा को किसने रोका?
दोनों हाथ लगाना साथी!
दीपक एक जलाना साथी!

शुभ दीपावली

Deepawali Poem

समय कसौटी है मानव के कर्म की
धर्म की समय के मायने है जीवन
जीवन जो संयममय हो
जीवन जो सदाचारी हो
जीवन जो सुखमय हो
यही समय सनातन है
पुरातन व नूतन भी है
समय उपलब्धियो भरा है
फिर क्यो मानव लूटता है
तोडता है कचोटता है अपनो को
अपनो से ही वैर घृणा।
ईर्ष्या इन सब मे व्यर्थ
गंवाता है समय
आओ अहसास करे,हर्ष का विकास का
प्रगति का सभ्य समाज बनाने का
समय सत्य है काल है
अनादिकाल की पगडंडी पर
अनवरत दौडता समय
प्रतिपल परिवर्तित होता दौड रहा है
अपने लक्ष्य की ओर, सूरज चांद तारे
सभी समय की परिधि मे
बध्कर निरंतर आतुर है
करने नव सृजन
निशा से नव प्रभात की ओर
समय कसौटी है मानव
के कर्म की मानव के धर्म की..!