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Romantic Shayari Poem

शब जला है,
सब जला है,
बाअदब रब जला है,
चाँद के सिरहाने-
आसमां का लब जला है।

तेरी आँखों की अंगीठी
में गले जब नींद मीठी,
भाप बनकर ख्वाब,छनकर,
तारों की हवेलियों में,
अर्श पर तब-तब जला है।

कल शबनमी शीतलपाटी,
रात भर घासों ने काटी,
गुनगुनी बोली से तेरी,
हवाओं के तलवे तले,
सुबह ओस बेढब जला है।

जब इश्क के साहिलों पर,
आई तू परछाई बनकर,
दरिया के दरीचे से फिर,
झांकती हर रूह का
हर तलब बेसबब जला है।

तेरे दर तक की सड़क में,
नैन गाड़, बेधड़क ये,
वस्ल के पैरोकार-सा,
रोड़ों पर कोलतार-सा,
होश का नायब जला है।

शब जला है,
सब जला है,
तेरे दीद के लिए हीं,
चाँद के सिरहाने-
आसमां का लब जला है।

Romantic Shayari Poem

Zindagi se nibha liya maine !

Ek khusboo si teri yaad aayee,
Ek pal muskara liya maine !

Pyas tadpi to pee liya aansoo,
Bhukh me gam ko kha liya maine !

Dard ka geet ek tadapta sa,
Pyar me gunguna liya maine !

Mujhpe ilzam hai zamane ka,
Kyon tera dil chura liya maine,

Jab kabhi need mujhse rooth gayee,
Chand ko ghar bula loiya maine !

Kis tarah khusnaseeb hun mai bhi,
Tumko khwabon me paa liya maine

Romantic Shayari Poem

फ़ना हो चुके है......................
हर मुलाकात में निघाएं यही फरियाद करती है ,
कि किसी पल पलट कर देखने को जी चाहता है ............

वो तो हमें देख कर अनदेखा करजाते है ,
कि उनकी नजरो में रहजाने को जी चाहता है ............

वो क्या समझेंगे हमारी मोहबत को ,
वो तो खोये है किसी और के मोहबत मे ,
कि उनकी मोहबत मे खोने को जी चाहता है ..........

आप् कि मोहबत ने बहुत रंग दिए है हमें ,
कि अब इन्ही रंगो में रंग जाने को जी चाहता है .........

उलझ चूका हू इस उलझे हुए वक्त को सुलझाने मे ,
कि आप् की उलझी जुल्फों को सुलझाने को जी चाहता है ...........

फंना हो चुके है आप् की मोहबत मे ,
कि अब शायरी मे इजहार करने को जी चाहता है ............

अगर ख्वाईस है आजमाने कि तो जान मांग लो ,
कि अब उन्हें अपना बनाने को जी चाहता है .........

ना कभी ख़तम करसकेंगे ये शायरी ,
कि उनको शायरी मे वापस लेन को जी चाहता है ..................

Romantic Shayari Poem

यह नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चिराग़
तेरे ख़्याल की खुश्बू से बस रहे हैं दिमाग़

दिलों को तेरे तबस्सुम की याद यूं आई
की जगमगा उठें जिस तरह मंदिरों में चिराग

तमाम शोला-ए-गुल है तमाम मौज-ए-बहार
कि ता-हद-ए-निगाह-ए-शौक़ लहलहाते हैं बाग़

‘नई ज़मीं, नया आस्मां, नई दुनिया’
सुना तो है कि मोहब्बत को इन दिनों है फ़राग

दिलों में दाग़-ए-मोहब्बत का अब यह आलम है
कि जैसे नींद में दूबे होन पिछली रात चिराग़

फिराक़ बज़्म-ए-चिरागां है महफ़िल-ए-रिन्दां
सजे हैं पिघली हुई आग से छलकते अयाग़!

Romantic Shayari Poem

"यादों की बस्ती, सपनों का आँगन,
शबनम की बिंदिया, कलियों के कंगन

यौवन की रिमझिम, महकी सी रातें,
ये तेरे लिये है, सारी सौगातें।

फूलों से सँवरी, शाखों की बाँहें,
महबूब का गाँव, रँगीन राहें ।

रिश्तों की मेंहदी, करती है बातें,
ख्वाबों का राजा, ले आया बारातें ।

मौसम की मदिरा, बारिश की हँसी,
गजरे की खूशबू, जूडे में फँसी ।

नटखट से बादल, पागल बरसातें,
चाहत के जंगल में लुकछिप मुलाकातें ।

ढलका सा आँचल, उनींदी निगाहें,
साँसों का मधुबन, हम हर रोज़ चाहें ।

हरियाली सुहागिन की, कैसी करामातें ,
पत्तों की झांझर पर नाची प्रभातें ।"

Romantic Shayari Poem

झील सी गहरी इन निगाहों मे डूब जाने को जी चाहता है,
न चाहकर भी इन निगाहों से दूर चले जाने को जी चाहता है,
गम तेरे दिल के सारे पी जाने को जी चाहता है,

गुस्से से भरी इन निगाहों को फिर देखने को जी चाहता है,
मुझे तलाशती इन निगाहों को फिर देखने हो जी चाहता है,
न चाहकर भी इन निगाहों से दूर चले जाने को जी चाहता है,

कुछ कहती इन निगाहों से सब कुछ सुन लेने को जी चाहता है,
हाल-ऐ-दिल बयान करती निगाहे देख मर जाने को जी चाहता है,
न चाहकर भी इन निगाहों से दूर चले जाने को जी चाहता है,

दिल को तड़पाती ये निगाहे अब जीने नही देती है,
गम से भरी ये निगाहे अब जीने नही देती है,
मुझे तलाशती ये निगाहे अब जीने नही देती है,
मरना चाहू तो भी ये निगाहे अब मरने नही देती है,

Romantic Shayari Poem

tum
tum jise main sochtaa hoon
kitni nirmam ho,dukhati ho mere dil ko

har hansi khwaab me teri moujudgi barabar hai
tum bulati ho mujhe apni taraf har khwaab me
aur kho jaati ho kahi mujhe ****kar adhuura
chuuna chaahta hoon main tumhe sadiyo se
chali jaati ho duur mujhse tum
mukar jaati ho apni baato se
bas sulaye rakhti ho raato apni god me
rokti ho mujhe jaagne se

main dekhta huun ki
tum dilaati ho yakiin, ki tum meri ho
sunhare libaas me varne aayi ho mujhe
le jaatii ho mujhe sitaro me
aur basatii ho hansii mahal kalpnao ka
kabhi to mujhe dekhne do jee bhar kar tumko
in palko ki dhundh me paresaan ho jaata huun main,
jaraa ruko,
ruko is DunDh ko hatne tak
aaj main chuuna chahta huun tumhe,
paana chahta huun tumhe
in hansi khwaabo se nikaal kar,
samne laana chahta hu tumhe,
kaho tum aaogi ik din meri baahon me
lipti rahogi mujhse,aur kho jaaogi mujhme,
haan main jaanta hu tum meri ho
tum meri ho samaayi ho mere dil me
magar kyo tum,
tum jise main sochta huun
dukhati ho mere dil ko....

Romantic Shayari Poem

Diddar-e-ishq bhi kya chig hain ,,
jo ek he lamhai mai log ji laitai hain ,,
maut bhi aajai agar,
to assani sai usai ek lamhe mai apna laitai hain.

vo lamha bhi kya lamha tha,
jismai pyari si jindagi pyar
k sath gujhar gai ,
verna to unki nafrat k chakker mai,
humsai humari unki chahato
ki duniya ujad gai.