झील सी गहरी इन निगाहों मे डूब जाने को जी चाहता है,
न चाहकर भी इन निगाहों से दूर चले जाने को जी चाहता है,
गम तेरे दिल के सारे पी जाने को जी चाहता है,
गुस्से से भरी इन निगाहों को फिर देखने को जी चाहता है,
मुझे तलाशती इन निगाहों को फिर देखने हो जी चाहता है,
न चाहकर भी इन निगाहों से दूर चले जाने को जी चाहता है,
कुछ कहती इन निगाहों से सब कुछ सुन लेने को जी चाहता है,
हाल-ऐ-दिल बयान करती निगाहे देख मर जाने को जी चाहता है,
न चाहकर भी इन निगाहों से दूर चले जाने को जी चाहता है,
दिल को तड़पाती ये निगाहे अब जीने नही देती है,
गम से भरी ये निगाहे अब जीने नही देती है,
मुझे तलाशती ये निगाहे अब जीने नही देती है,
मरना चाहू तो भी ये निगाहे अब मरने नही देती है,