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Shree Krishna Bhajan

जाने दो मन मोहन प्यारे सांझ से रात अब आती हैं
गोपी की इस भोली बातों पे,प्रभु को हँसी आती हैं
बोले नंदनन्दन मुस्कराकर क्यों गोपी घबराती हैं
तेरे रूप में हमने भेजी गोपी तेरे घर जाती हैं
चकित भई गोपी की अखिया अश्रु जल छलकाती हैं
चरण पकड़ कर झुक गयी गोपी नहीं भेद वेह पाती हैं
छलक गए बस नयन कटोरे,प्रेम सुमन भर लाती हैं
भुजा में बाँध करें प्रभु अपना समर्पित वह हो जाती हैं
करुणामय ! तुम बडे दयालु इतना ही कह पाती हैं
'हरिदासी' तब आँख उघड गयी निज को घर में पाती हैं
क्या क्या कहे यह महिमा प्रभु की,हरिदासी शरमाती हैं
कृपा करो प्रभु कंठ लगा लो,दासी शरण में आती हैं

hari bol

Bhajan Poem

क्यूँ निकल कर बाँहों से बेसहारा करते हैं.........
पास बुला कर अब क्यूँ किनारा करते हैं...
ऐसी खता हमसे हो क्या गयी बनवारी..
इश्क आप आजकल कम्गुजारा करते हैं..

दिलदार बड़े है आप ये सुन रखा है ...
बेरुखी हमसे क्यूँ इतनी आपने है की...
हो गयी चूक कोई मोहब्बत में तो..
लो सजदा तेरा हम दोबारा करते हैं....

तड़पाओ न अब इन दूरियों से...
नजदीकियों को भी कुछ आराम दो..
मिल जाओ मुझ में यही दरखास्त है अब..
की हर सितम तेरे हम गंवारा करते हैं....

Shree Krishna Bhajan

हमे साँवरे से मुहब्बत बहुत हैं
हमे तेरे चरणों से उल्फत बहुत हैं
कभी हमको मोहन देखा किया कर
रस प्रेम का बनके प्रेमी पिया कर
मेरी दिल में तेरी तड़पन बहुत हैं
देना दिलासा हमे श्यामसुंदर
आकर के रहना मन तेरा मन्दिर
क्या कारण हैं तुमको गफलत बहुत हैं
कमल नैनों वाले इधर भी चला आ
या यह ही बता दे हम से अब गिला क्या
क्या अपनी ही प्यारो से नफरत बहुत हैं
'हरिदासी' मोहन का पल्ला न छोडे
हम तो यह पीला पीताम्बर न छोडे
तुम जो करो हमको उल्फत बहुत हैं

Shri Ram Hindi Bhajan

राम राम रटु, राम राम रटु, राम राम जपु जीहा।

राम-नाम-नवनेह-मेहको, मन! हठि होहि पपीहा॥१॥

सब साधन-फल कूप सरित सर, सागर-सलिल निरासा।

राम-नाम-रति-स्वाति सुधा सुभ-सीकर प्रेम-पियासा॥२॥

गरजि तरजि पाषान बरषि, पबि प्रीति परखि जिय जानै।

अधिक-अधिक अनुराग उमँग उर, पर परमिति पहिचानै॥३॥

रामनाम-गत, रामनाम-मति, रामनाम अनुरागी।

ह्वै गये हैं जे होहिगे, त्रिभुवन, तेइ गनियत बड़भागी॥४॥

एक अंग मम अगम गवन कर, बिलमु न छिन-छिन छाहै।

तुलसी हित अपनो अपनी द्सि निरुपधि, नेम निबाहैं॥५॥

............राम राम...........