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Bhajan Poem

क्यूँ निकल कर बाँहों से बेसहारा करते हैं.........
पास बुला कर अब क्यूँ किनारा करते हैं...
ऐसी खता हमसे हो क्या गयी बनवारी..
इश्क आप आजकल कम्गुजारा करते हैं..

दिलदार बड़े है आप ये सुन रखा है ...
बेरुखी हमसे क्यूँ इतनी आपने है की...
हो गयी चूक कोई मोहब्बत में तो..
लो सजदा तेरा हम दोबारा करते हैं....

तड़पाओ न अब इन दूरियों से...
नजदीकियों को भी कुछ आराम दो..
मिल जाओ मुझ में यही दरखास्त है अब..
की हर सितम तेरे हम गंवारा करते हैं....