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Humanity Poem

एक बड़ी सी बात
अख़बार में छोटी सी जगह पा गई थी,
रोटी माँगने गई एक बच्ची
रोटी के बदले इज्जत गँवा गई थी,
अगर याद हो तो सच बताना,
उस रात तुम सबको नींद कैसे आ गई थी?

Humanity Poem

मैं एक आह भरता हूं
तो मेरी माँ रात भर सो नहीं पाती,
उसके करोड़ों बच्चे
हर रात भूखे सोते हैं,
तुम्हारा भगवान
क्या नींद की गोलियाँ लेता है?