हमे साँवरे से मुहब्बत बहुत हैं
हमे तेरे चरणों से उल्फत बहुत हैं
कभी हमको मोहन देखा किया कर
रस प्रेम का बनके प्रेमी पिया कर
मेरी दिल में तेरी तड़पन बहुत हैं
देना दिलासा हमे श्यामसुंदर
आकर के रहना मन तेरा मन्दिर
क्या कारण हैं तुमको गफलत बहुत हैं
कमल नैनों वाले इधर भी चला आ
या यह ही बता दे हम से अब गिला क्या
क्या अपनी ही प्यारो से नफरत बहुत हैं
'हरिदासी' मोहन का पल्ला न छोडे
हम तो यह पीला पीताम्बर न छोडे
तुम जो करो हमको उल्फत बहुत हैं