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Romantic Shayari Poem

यह नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चिराग़
तेरे ख़्याल की खुश्बू से बस रहे हैं दिमाग़

दिलों को तेरे तबस्सुम की याद यूं आई
की जगमगा उठें जिस तरह मंदिरों में चिराग

तमाम शोला-ए-गुल है तमाम मौज-ए-बहार
कि ता-हद-ए-निगाह-ए-शौक़ लहलहाते हैं बाग़

‘नई ज़मीं, नया आस्मां, नई दुनिया’
सुना तो है कि मोहब्बत को इन दिनों है फ़राग

दिलों में दाग़-ए-मोहब्बत का अब यह आलम है
कि जैसे नींद में दूबे होन पिछली रात चिराग़

फिराक़ बज़्म-ए-चिरागां है महफ़िल-ए-रिन्दां
सजे हैं पिघली हुई आग से छलकते अयाग़!