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Deepawali Poem

समय कसौटी है मानव के कर्म की
धर्म की समय के मायने है जीवन
जीवन जो संयममय हो
जीवन जो सदाचारी हो
जीवन जो सुखमय हो
यही समय सनातन है
पुरातन व नूतन भी है
समय उपलब्धियो भरा है
फिर क्यो मानव लूटता है
तोडता है कचोटता है अपनो को
अपनो से ही वैर घृणा।
ईर्ष्या इन सब मे व्यर्थ
गंवाता है समय
आओ अहसास करे,हर्ष का विकास का
प्रगति का सभ्य समाज बनाने का
समय सत्य है काल है
अनादिकाल की पगडंडी पर
अनवरत दौडता समय
प्रतिपल परिवर्तित होता दौड रहा है
अपने लक्ष्य की ओर, सूरज चांद तारे
सभी समय की परिधि मे
बध्कर निरंतर आतुर है
करने नव सृजन
निशा से नव प्रभात की ओर
समय कसौटी है मानव
के कर्म की मानव के धर्म की..!