तनहा अकेले
पलकों के सहारे
जी रही
वो लड़की
पलकों पे चुभन
सपनों की
चौंक उठती है
वो लड़की
धड़कनों की दहलींज
यादों का मकान
दिल को समझाती
वो लड़की
खुला आसमान
झुकीं पलकें
अशकों को छुपाती
वो लड़की
सूनी डगर
तनहा मंजिल
ददॆ से बातें करती
वो लड़की
अपनों की जुबानीं
सपनों की कहानी
जिंदगी से नज़रें चुराती
वो लड़की
सासों का सफ़र
खुद से बे-खबर
हाथ की लकीरों से लड़ती
वो लड़की