फूलों के झूलों पर कोई शबनम पली होती,
पी जाता मैं सारा रस अगर मदिरा भरी होती।
गंगा का जल था हम ना उसके योग्य बन पाए,
मेरे गीतों मे जो धुन है,उसे मत प्यास बतलाएं।
उसी साकी से कह देना वो हरपाल याद हैं आतें,
कोईभी जाम मिलता है हम पी नहीं पाते ।
नाम सुनकर नशा छाता क्यों मद हम होंठ तक लायें ।
मेरे गीतों मे जो धुन है उसे मत प्यास बतलाएं।
तुम्हे मदिरा मुबारक हो मेरी तो जान प्याला है,
साकी के हांथों के लिए निशान प्याला है।
शुचिता के परसों को नहीं अपवित्र कर पायें,
मेरे गीतों मे जो धुन है उसे मत प्यास बतलाएं.