चले वो कदम-कदम जो साथ मेरे,
तो उसके साथ से प्यार हो जाए...
थामे जो प्यार से हाथ मेरा,
तो अपने हाथ से प्यार हो जाए...
जिस रात आए ख्वाबों में वो,
उस सुहानी रात से प्यार हो जाए...
जिस बात में आए जिक्र उसका,
तो उसी बात से प्यार हो जाए...
जब पुकारे प्यार से मेरा नाम,
तो अपने ही नाम से प्यार हो जाए...
जो प्यार के रिश्ते हम बनाते हैं,
उसे लोगों से क्यों छुपाते हैं ?
अगर होता है गुनाह
किसी को प्यार करना,
तो बचपन से सब
प्यार करना क्यों सिखाते हैं ?