आजादी बे मोल
नही चढ़ती परवान
सुहागिनों का सिन्दूर
,बहनों का स्नेह सूत्र
अबोध काया का साया
पिता का दुलार
ममतामयी माँ का आंचल बिसरा के
निकल पड़ते हैं वीर जवान
,देश की खातिर
करने सबकुछ कुर्बान,
रखनी हें हमवतनों को वतन की आन का मान
उनके लिये क्या मायना रखती हें जान
मारेंगे या मर मिटेंगे हो जायेंगे कुर्बान
वो हें या न रहे सलामत रहेगी देश की आन !