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Emotional Poem

यह साए हैं , दुनिया की परछाइयों की
भरी भीड़ में , खाली तनहाइयों की

यहाँ कोई साहिल - सहारा नहीं है
कहीं डूबने को किनारा नहीं है

कई चाँद उठ कर जलाए - बुझाये
बहुत हमने चाहा ज़रा नींद आये

यहाँ सारे चेहरे हैं मांगे - हुए - से
निगाहूँ में आंसू भी टाँगे - हुए से

बड़ी नीची राहें हैं उचाइयों की
ये साए हैं ,दुनिया है परछाइयों है
भरी भीड़ में , खाली तनहाइयों है