हे पार्थ ।। ( कर्मचारी)
इनक्रीमट अच्छा नही हुआ, बुरा हुआ
इनसेंटिव नही मिला, ये भी बुरा हुआ
वेतन में कटौती हो रही है बुरा हो रहा है,
तुम पिछले इनसेंटिव ना मिलने का पश्चाताप ना करों,
तुम अगले इनसेंटिव की चिंता भी मत करों,
बस अपने वेतन में सन्तुष्ट रहो
तुम्हारी जेब से क्या गया, जो रोते हो?
जो आया था सब यही से आया था
तुम जब नही थे, तब भी ये कंपनी चल रही थी,
तुम जब नही होंगे, तब भी चलेगी,
तुम कुछ भी लेकर यहां नही आए थे
जो अनुभव मिला यहीं मिला
जो भी काम किया जो कंपनी के लिए किया,
डिग्री लेकर आए थे, अनुभव लेकर जाओगे
जो कम्प्युटर आज तुम्हारा है,
यह कल किसी और का था
कल किसी और का होगा और परसो किसी और का होगा
तुम इसे अपना समझ कर क्यो मगन हो क्यो खुश हो
यही खुशी तुम्हारी समस्त परेशानियों का मूल कारण हैं
क्या व्यर्थ चिंता करते हो, किससे व्यर्थ डरते हो,
कौन तुम्हे निकाल सकता है ?
सतत ’नियम-परिर्वतन‘ कंपनी का नियम हैं
जिसे तुम ’ नियम-परिर्वतन‘ कहते हो, वही तो चाल है
एक पल में तुम बैस्ट परफॉर्मर और हीरो नम्बर वन या सुपर स्टार हो
दूसरे पल में तुम वर्स्ट परफॉर्मर बन जाते हो ओर टारगेट अचीव नही कर पाते हो
ऐप्रजल, इनसेंटिव ये सब अपने मन से हटा दो,
अपने विचार मिटा दो,
फिर कंपनी तुम्हारी है और तुम कंपनी के
ना ये इन्क्रीमेंट वगैरह तुम्हारे लिए है
ना तुम इसके लिए हो,
पंरतु तुम्हारा जॉब सुरक्षित है
फिर तुम परेशान क्यों होते हो ?
तुम अपने आप को कंपनी को अर्पित कर दो,
मत करो इन्क्रीमट की चिंता बस मन लगाकर अपना कर्म किये जाओ
वही सबसे बडा गोल्डन रूल है
जो इस गोल्डन रूल को जानता है वो ही सुखी है
वोह इन रिव्यू, इनसेंटिव, ऐप्रेजल, रिटायरमेंट आदि के बंधन से सदा के लिए मुक्त हो जाता हैं
तो तुम भी मुक्त होने का प्रयास करों और खुश रहो
इनक्रीमट अच्छा नही हुआ, बुरा हुआ
इनसेंटिव नही मिला, ये भी बुरा हुआ
वेतन में कटौती हो रही है बुरा हो रहा है,
तुम पिछले इनसेंटिव ना मिलने का पश्चाताप ना करों,
तुम अगले इनसेंटिव की चिंता भी मत करों,
बस अपने वेतन में सन्तुष्ट रहो
तुम्हारी जेब से क्या गया, जो रोते हो?
जो आया था सब यही से आया था
तुम जब नही थे, तब भी ये कंपनी चल रही थी,
तुम जब नही होंगे, तब भी चलेगी,
तुम कुछ भी लेकर यहां नही आए थे
जो अनुभव मिला यहीं मिला
जो भी काम किया जो कंपनी के लिए किया,
डिग्री लेकर आए थे, अनुभव लेकर जाओगे
जो कम्प्युटर आज तुम्हारा है,
यह कल किसी और का था
कल किसी और का होगा और परसो किसी और का होगा
तुम इसे अपना समझ कर क्यो मगन हो क्यो खुश हो
यही खुशी तुम्हारी समस्त परेशानियों का मूल कारण हैं
क्या व्यर्थ चिंता करते हो, किससे व्यर्थ डरते हो,
कौन तुम्हे निकाल सकता है ?
सतत ’नियम-परिर्वतन‘ कंपनी का नियम हैं
जिसे तुम ’ नियम-परिर्वतन‘ कहते हो, वही तो चाल है
एक पल में तुम बैस्ट परफॉर्मर और हीरो नम्बर वन या सुपर स्टार हो
दूसरे पल में तुम वर्स्ट परफॉर्मर बन जाते हो ओर टारगेट अचीव नही कर पाते हो
ऐप्रजल, इनसेंटिव ये सब अपने मन से हटा दो,
अपने विचार मिटा दो,
फिर कंपनी तुम्हारी है और तुम कंपनी के
ना ये इन्क्रीमेंट वगैरह तुम्हारे लिए है
ना तुम इसके लिए हो,
पंरतु तुम्हारा जॉब सुरक्षित है
फिर तुम परेशान क्यों होते हो ?
तुम अपने आप को कंपनी को अर्पित कर दो,
मत करो इन्क्रीमट की चिंता बस मन लगाकर अपना कर्म किये जाओ
वही सबसे बडा गोल्डन रूल है
जो इस गोल्डन रूल को जानता है वो ही सुखी है
वोह इन रिव्यू, इनसेंटिव, ऐप्रेजल, रिटायरमेंट आदि के बंधन से सदा के लिए मुक्त हो जाता हैं
तो तुम भी मुक्त होने का प्रयास करों और खुश रहो