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Encourage Poem

आरजू दर बदर में है अभी,
दूर है मंजिल सफ़र में है अभी

कारवां गर साथ ना हो ना सही,
हमसफ़र तो रहगुजर में है अभी

खो गया जो वक़्त की इस धुंध में,
वो समां मेरी नज़र में है अभी

मंजिले तमन्ना मिल ही जायेगी,
कुव्वते परवाज़ पर में है अभी

पाल बच्चे परिंदा उड़ गया तो क्या,
घोसला पवन सिज़र में है अभी!