‘हौंसल्ले हो बुलन्द तो हर मुश्किल को आसां बना देंगे,
छोटी टहनियों की क्या बिसात, हम बरगद को हिला देंगे।
वो और हैं जो बैठ जाते हैं थककर मंजिल से पहले,
हम बुलन्द हौंसल्लों के दम पर आसमां को झुका लेंगे।’
छोटी टहनियों की क्या बिसात, हम बरगद को हिला देंगे।
वो और हैं जो बैठ जाते हैं थककर मंजिल से पहले,
हम बुलन्द हौंसल्लों के दम पर आसमां को झुका लेंगे।’