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Jagte Raho Poem

तुम्हारे पाँवों के नीचे कोई जमीन नहीं
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं |

मैं बेपनाह अँधेरों को सुबह कैसे कहूँ
मैं इन नज़ारों का अंधा तमाशबीन नहीं |

तेरी ज़ुबान है झूठी जम्हूरियत की तरह
तू इक जलील-सी गाली से बेहतरीन नहीं |

तुम्हीं से प्यार जताएँ तुम्ही को खा जाएँ
अदीब यों तो सियासी है पर कमीन नही |

तुझे कसम है खुदी को बहुत हलाक़ न कर
तू इस मशीन क पुर्ज़ा है,तू मशीन नहीं |

बहुत मशहूर है आएँ जरूर आप यहाँ
ये मुल्क देखने लायक तो है, हसीन नहीं |

जरा सा तौर-तरीकों में हेर-फेर करो
तुम्हारे हाथ में कालर हो आस्तीन नहीं |