जब सोई थी सारी दुनिया , जागा था हिन्दुस्तान नया
गणतंत्रदिवस की रात नयी, था दिन भी कितना नया नया
था कोटि कोटि हाथों में जब लहराता अपना ध्वज प्यारा
आज़ादी की खुशबू से जब था महक उठा भारत सारा
आज़ादी के दीवानों ने कैसे कैसे बलिदान दिए
उस भरी जवानी में उनने भर भर कर प्याले ज़हर पिए
था एक हमारा भगत सिंह चूमा फांसी के फंदे को
ऊधम ने अपनी गोली से जड़ दिया फिरंगी बन्दे को
था एक हमारा वो सुभाष जिसकी सेना आजाद हिंद
दुश्मन की छाती पर चढ़कर जो गरज उठा था विजयहिंद
था एक जवाहर हीरे सा जिसका नारा था पंचशील
दुनिया को जिसने सिखलाया हम रहें सदा आओ हिलमिल
आत्मा थी जिसकी बड़ी प्रबल काया से था कमज़ोर मगर
जब निकल पड़ा गांधी बाबा हट गए फिरंगी छोड़ डगरPA