एक तन्हा पल जो छुकर तुम्हे
मुझ तक हे आया
मेरे मन के दर पर
यादो की दस्तक बनकर छाया
थोडा सा घबराया ,थोडा सा सकुचाया
मेरे करीब बेठ थोडा वो अग्दाया
शुरू हुआ फिर सिलसिला
उँ बीते पलो को याद करने का
जो मेने तुम्हारे साथ गुजारे
कभी ये पल ख़ुशी तो कभी ,
आखो को नम करते
पर ये पल ही तो हे
जिन्होंने अब तक मेरा साथ निभाया
जब तुम हो कर भी नहीं थे
और आज होकर भी नहीं हो मेरे पास