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Shayari Poem

दिलों में दर्द लब पे तश्न्गी है यहाँ
जिन्दगी कुछ भी नही सिर्फ़ बेबसी है यंहा
शोर है भीड़ है हंगामा कत्लेआम के बीच
तुम्हारी साँस अभी है यही खुशी है यहाँ
वो बात झूठी थी जो मैं एलान किया करता था
फकत जो तू कहे-बोले वही सही है यहाँ
कोई तो हद हो और कितना दर्द पी जायें
तमाम गम है और तनहा आदमी है यहाँ
मैं एक रोज मोहब्बत भी करके देखूंगा
सुना है दिल का लगाना भी दिल्लगी है यहाँ

हमारे गम से वो गाफिल नही हैं फ़िर भी बसर

कभी जो पूछे तो कहना हंसी खुशी है यहाँ