कोई काम न आवेगी काया
मद में उसको जान न पावे
विधि लेख मिटे नहीं माया में
जीवन की घडयां बित जावें
कोई काम न आवेगी काया
पंछी उडता चलती काया में
मैं का भान नहीं आवे
यह सागर अंत नहीं उसका
मुनिराज भी पार नहीं पावे
कोई काम नहीं आवेगी काया
चलता-फिरता मैं भूल जाऊँ
मन काम में मेरा लग जावे
रोना-पिटना पिंजरा खाली
जब शेर यहां से भग जावे
कोई काम न आवेगी काया
सुनते रहने की रीत यहां पर
ध्यान नहीं जो सो जावें
सोने वालों की बात नहीं
जगने वाले कुछ पा जावें
कोई काम न आवेगी काया